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टॉप-अप बनाम पर्सनल लोन | सही विकल्प चुनें

21 मई 2024 को प्रकाशित

टॉप अप लोन और पर्सनल लोन में से चुनते समय, कई कारकों पर विचार करना चाहिए, जैसे लोन की राशि, पात्रता, ब्याज दरें, टैक्स लाभ, अवधि, प्रोसेसिंग में लगने वाला समय और फीस और लोन कंपनी. अपनी ज़रूरतों के लिए बेहतर विकल्प चुनने में आपकी मदद करने के लिए, यहां एक तुलनात्मक विश्लेषण दिया गया है.

पर्सनल लोन और टॉपअप लोन के बीच महत्वपूर्ण अंतर

यहां पर्सनल लोन और टॉप-अप लोन की तुलना की गई है.

1. लोन राशि

  • पर्सनल लोन: लोन की राशि एप्लीकेंट की प्रोफाइल और लेंडर के आधार पर काफी अलग-अलग होती है, आमतौर पर यह ₹50,000 से ₹50,00,000 तक हो सकती है.
  • टॉप-अप लोन: फाइनेंशियल संस्थानों के द्वारा उधारकर्ता को मौजूदा लोन राशि पर 70 से 80 % अतिरिक्त टॉप-अप लोन दिया जाता है.

2. पात्रता

  • पर्सनल लोन: आय, क्रेडिट स्कोर और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर वेतनभोगी व्यक्तियों, स्व-व्यवसायी प्रोफेशनल और बिज़नेसमेन के लिए उपलब्ध है.
  • टॉप-अप लोन: इसकी पात्रता इस बात पर निर्भर करती है कि उधारकर्ता ने पर्सनल लोन लिया हुआ है या होम लोन. इसके अलावा, यह लोन केवल एक निश्चित समय के बाद और उन लोगों को मिलता है, जिन्होंने मौजूदा लोन का कुछ हिस्सा चुका दिया है.

3. ब्याज दरें

  • पर्सनल लोन: अनसिक्योर्ड होने की वजह से इसकी ब्याज दर आमतौर पर ज़्यादा होती है.
  • टॉप-अप लोन: इसमें दरें आमतौर पर पर्सनल लोन से कम होती हैं, लेकिन होम लोन की मूल दरों से अधिक दरें होती हैं.
  • इसे भी पढ़ें: पर्सनल लोन पर ब्याज दर

4. कर लाभ

  • पर्सनल लोन: अगर फंड का इस्तेमाल घर के रेनोवेशन या बिज़नेस इन्वेस्टमेंट जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है, तो टैक्स लाभ नहीं मिलता, क्योंकि इन वजहों के लिए चुकाया गया ब्याज ही टैक्स डिडक्टिबल होता है.
  • टॉप-अप लोन: इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 (b) के तहत, अगर लोन का इस्तेमाल घर के रेनोवेशन या निर्माण के लिए किया जाता है, तो टैक्स लाभ लिया जा सकता है, जिसमें ब्याज भुगतान के लिए डिडक्शन का लाभ मिलता है.
  • इसे भी पढ़ें: पर्सनल लोन पर इनकम टैक्स का लाभ कैसे प्राप्त करें

5. अवधि

  • पर्सनल लोन: इसकी अवधि आमतौर पर 1 से 5 वर्ष तक होती है.
  • टॉप-अप लोन: इसकी अवधि मौजूदा लोन की अवधि तक या उससे कम रखी जा सकती है, जो कि लोन के प्रकार या लेंडर की पॉलिसी के आधार पर 5 से 20 साल तक की होती है.

6. प्रोसेसिंग का समय और फीस

  • पर्सनल लोन: इस लोन की प्रोसेसिंग में अधिक समय लगता है, क्योंकि डॉक्यूमेंट की जांच में समय लगता है. इसमें 10 से 15 दिन लग सकते हैं और फीस अधिक होती है.
  • टॉप-अप लोन: आमतौर पर इसकी प्रोसेसिंग में कम समय लगता है, क्योंकि पिछले लोन के दौरान डॉक्यूमेंट की जांच पहले से ही हुई होती है. इसलिए, प्रोसेसिंग फीस भी कम लगती है. कुछ ही दिनों में लोन प्रोसेस कर दिया जाता है.

7. लोन कंपनी

  • पर्सनल लोन: बैंक, नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC) और ऑनलाइन लेंडर इस प्रकार के लोन प्रदान करते हैं.
  • टॉप-अप लोन: यह आमतौर पर उसी लेंडर द्वारा दिया जाता है, जिसने आपको मूल लोन दिया था, जैसे होम लोन आमतौर पर बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और कभी-कभी NBFC के द्वारा दिया जाता है.

टॉप-अप लोन के फायदे और नुकसान

लाभ

1. बहुत कम या बिना किसी डॉक्यूमेंटेशन के उपलब्ध

क्योंकि उधारकर्ता ने पहले से ही उस लेंडर से लोन ले रखा है, इसलिए अधिकतर आवश्यक डॉक्यूमेंट पहले से ही फाइल में मौजूद होते हैं. इस वजह से बहुत ज़्यादा पेपरवर्क की ज़रूरत नहीं रहती. न्यूनतम डॉक्यूमेंटेशन की वजह से यह प्रोसेस आसान होती है, जिससे उधारकर्ता को कम समय में और बिना परेशानी के फंड मिल जाते हैं.

2. तेज़ प्रोसेसिंग

लेंडर को उधारकर्ता की क्रेडिट योग्यता और फाइनेंशियल इतिहास के बारे में पहले से पता होता है, इसलिए टॉप-अप लोन की अप्रूवल प्रोसेस तेज़ी से पूरी हो जाती है. इस तरह की आसान अप्रूवल प्रोसेस से उधारकर्ता को नए लोन एप्लीकेशन के मुकाबले ज़्यादा जल्दी पैसा मिल जाता है.

3. फंड के इस्तेमाल की सुविधा

विशिष्ट-उद्देश्य के लिए लोन (जैसे घर या ऑटो लोन) के विपरीत, टॉप-अप लोन का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. उधारकर्ता घर के रेनोवेशन, मेडिकल खर्च, शिक्षा, बिज़नेस इन्वेस्टमेंट या अन्य पर्सनल फाइनेंशियल आवश्यकताओं के लिए फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह सुविधा टॉप-अप लोन को कई विशेषताओं से युक्त फाइनेंशियल टूल बनाती है, जो समय के साथ उधारकर्ता की बदलती आवश्यकताओं में मददगार साबित हो सकता है.

नुकसान

1. नए एप्लीकेंट के लिए उपलब्ध नहीं है

टॉप-अप लोन केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध है, जिन्होंने पहले से लेंडर से लोन ले रखा है. नए एप्लीकेंट, जिनका बैंक या फाइनेंशियल संस्थान के साथ पहले से कोई रिलेशनशिप नहीं है, वे टॉप-अप लोन के लिए अप्लाई नहीं कर सकते. इस प्रतिबंध की वजह से पैसे की ज़रूरत होने पर भी नए उधारकर्ता टॉप-अप लोन नहीं ले सकते, क्योंकि उनका लेंडर के पास पहले से कोई लोन अकाउंट नहीं चल रहा है.

2. EMI की राशि बढ़ जाती है

मौजूदा लोन पर टॉप-अप लोन लेने से कुल लोन राशि भी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से बढ़ जाती है समान मासिक किश्तें (EMI). इससे उधारकर्ता का मासिक बजट खराब हो सकता है.

बढ़ी हुई EMI के भुगतान को पूरा करने के लिए उधारकर्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी आय पर्याप्त हो. ऐसा नहीं करने से उन पर फाइनेंशियल दबाव पड़ सकता है और डिफॉल्ट की संभावना होती है.

3. निश्चित मूलधन राशि

आमतौर पर एक सीमित राशि तक का टॉप-अप लोन ही लिया जा सकता है और यह राशि मौजूदा लोन की बकाया मूलधन राशि और उधारकर्ता की पुनर्भुगतान क्षमता पर निर्भर करती है. हो सकता है कि उधारकर्ता को उतनी टॉप-अप राशि न मिले, जितनी राशि उन्हें चाहिए.

4. केवल मौजूदा बैंक से ही लिया जा सकता है

उधारकर्ता केवल उस बैंक या फाइनेंशियल संस्थान से टॉप-अप लोन ले सकते हैं, जिनसे उन्होंने पहले से लोन ले रखा है. इससे उन्हें अन्य लेंडर से बेहतर ब्याज दरों या शर्तों पर लोन प्राप्त करने का मौका नहीं मिल पाता. हो सकता है कि मौजूदा लेंडर उन्हें टॉप-अप लोन के लिए दूसरे बैंक या फाइनेंशियल संस्थानों के मुकाबले बेहतर ब्याज दर उपलब्ध न करा पाए, जिससे उधारकर्ता की कुल लागत बढ़ जाए.

निष्कर्ष

टॉप-अप लोन और पर्सनल लोन में से चुनना आपकी विशिष्ट फाइनेंशियल ज़रूरतों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. अगर आपको छोटी राशि की तुरंत आवश्यकता है और पहले से ही मौजूदा लोन है, तो टॉप-अप लोन एक सुविधाजनक और किफायती विकल्प हो सकता है. हालांकि, अगर आपको बड़ी राशि की आवश्यकता है, आप नया लोन ले रहे हैं या बेहतर शर्तों की तलाश में हैं, तो पर्सनल लोन बेहतर विकल्प हो सकता है. फैसला लेने से पहले हमेशा ब्याज दरों, पुनर्भुगतान की शर्तों और अपनी फाइनेंशियल स्थिति का मूल्यांकन करें.