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बिज़नेस लोन में मूलधन क्या होता है और इसका क्या महत्व है?

दिसंबर/11/2023 को प्रकाशित

जब व्यवसायी, लोन के ज़रिए फाइनेंशियल सहायता प्राप्त करते हैं, तो उन्हें अक्सर ‘लोन का मूलधन’ जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं. अपने पैसे को प्रभावी तरीके से मैनेज करने के लिए इस शब्द का मतलब और महत्व समझना बहुत ज़रूरी है.


इस कॉम्प्रिहेंसिव गाइड में, हम यह जानेंगे कि बिज़नेस लोन में लोन का मूलधन क्या होता है, यह लोन के ब्याज से कैसे अलग होता है, यह कैसे काम करता है, आपके पैसे पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है और टैक्स में इसकी क्या भूमिका रहती है.


लोन का मूलधन बनाम लोन का ब्याज

लोन के मूलधन के बारे में विस्तार से चर्चा करने से पहले, आइए हम समझते हैं कि यह लोन के ब्याज से किस तरह अलग है. ये दो घटक हर लोन एग्रीमेंट का आधार हैं.


  • Loan Principal : The principal amount in business loan is the initial amount borrowed from a financial institution. It represents the actual funds that the borrower receives and is obligated to repay over a specified period. This amount does not change during the loan term unless additional funds are borrowed.
  • Loan Interest : Loan interest is the cost associated with borrowing money. It is calculated as a percentage of the loan principal and represents the price the borrower pays to access the financial institution’s funds. Interest accrues over time and varies based on factors like the interest rate and the loan term.

बिज़नेस लोन में मूलधन किस तरह से कार्य करता है?

अपने बिज़नेस के फाइनेंशियल दायित्वों को मैनेज करने के लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि लोन का मूलधन किस तरह से कार्य करता है. आपको इन चीज़ों को समझना बहुत ज़रूरी है:


  • Loan Application : When a business applies for a loan, it specifies the desired loan amount, which becomes the loan principal if the application is approved.
  • इसे भी पढ़ें : बिज़नेस लोन के लिए अप्लाई करने के लिए चरण-दर-चरण गाइड
  • Also Read : Upon approval, the financial institution disburses the loan principal to the borrower. This loan amount can be used for various business purposes, such as expansion, working capital, or equipment purchase.
  • Loan Disbursement : The borrower is contractually obligated to repay the loan principal over a specified period. Repayment can occur through regular instalments or as a lump sum at the end of the loan term, depending on the loan agreement.
  • Interest Accumulation : As the borrower repays the loan principal, they also pay interest on the outstanding balance. The interest portion reduces over time as the principal is gradually paid down.

आपके लोन का मूलधन कैसे निर्धारित किया जाता है?

अपने लोन के मूलधन का हिसाब लगाना आसान है. लोन का मूलधन वही राशि होती है जो आपको फाइनेंशियल संस्थान से शुरुआत में मिलती है. यह वही राशि होती है, जिसे आप अपने बिज़नेस संबंधित कार्यों में लगाने के लिए उधार लेते हैं.


उदाहरण के लिए, अगर आपने अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए ₹ 10,00,000 उधार लिया है, तो लोन का मूलधन ₹ 10,00,000 होगा.


लोन के मूलधन का टैक्स पर क्या प्रभाव पड़ता है?

लोन का मूलधन आपके बिज़नेस की टैक्स देयता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है:


  • Tax Deductibility : In most cases, the loan principal itself is not tax-deductible. This means that you cannot deduct the loan principal amount from your taxable income.
  • Interest Deductions : However, the interest paid on the loan is generally tax-deductible for businesses. This deduction can reduce your taxable income, resulting in lower tax liabilities. It's important to keep accurate records of interest payments for tax purposes.
  • Depreciation Benefits : If the loan principal was used to purchase depreciable assets like equipment or real estate, you may be eligible for depreciation benefits. Depreciation allows you to deduct a portion of the asset's cost over its useful life, further reducing your taxable income.
  • Consult a Tax Professional : Tax laws and regulations vary by location and may change over time. It's advisable to consult a tax professional or accountant to fully understand the tax implications of your business loan principal and how to maximize deductions.

निष्कर्ष

अब जब आप समझ चुके हैं कि लोन की मूलधन राशि क्या होती है, तो ये ध्यान में रखने के कुछ सुझाव हैं. आपको बिज़नेस के लिए जितनी राशि चाहिए सिर्फ उतनी ही राशि उधार लें. बिना ज़रूरत के बड़ा लोन लेने से बचें, क्योंकि इससे आपको ज़्यादा ब्याज देना होगा. लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें, ताकि आप मूलधन राशि से जुड़े नियम और शर्तें अच्छे से समझ पाएं. ब्याज दर, पुनर्भुगतान शिड्यूल और प्रीपेमेंट पर लगने वाली पेनल्टी का ध्यान रखें. आखिर में, अपने लोन का भुगतान समय पर और पूर्ण रूप से करें. देरी से भुगतान करने पर आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है और इससे आपका क्रेडिट स्कोर भी कम हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको उधार लेने में बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.


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